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14 सित॰ 2024

ज्ञान ही गंगा है

 ज्ञान ही गंगा है


पुराने समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक संत निवास करते थे। उनकी विद्वता और सरलता के चर्चे दूर-दूर तक थे। लोग उन्हें 'ज्ञान की गंगा' कहकर पुकारते थे क्योंकि वह अपने प्रवचनों से सबका जीवन सुधारे थे। संत का एक ही मंत्र था, "ज्ञान ही सच्चा धन है, इसे जितना बांटो, उतना ही बढ़ता है।"


गाँव के पास एक नदी बहती थी, जिसे लोग पवित्र मानते थे। संत हमेशा लोगों से कहा करते थे कि जैसे गंगा नदी का पानी सभी को शुद्ध करता है, वैसे ही ज्ञान भी हर एक इंसान के जीवन को सुंदर बना देता है। लेकिन कई लोग संत की बातों को समझ नहीं पाते थे और उन्हें बस एक साधारण इंसान मानते थे।


एक दिन गाँव में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई। फसलें सूख गईं और लोग पानी के लिए तरसने लगे। तब संत ने गाँव के लोगों से कहा, "जैसे गंगा का पानी आपको प्यास से बचाता है, वैसे ही ज्ञान आपको जीवन की हर कठिनाई से बचा सकता है। अगर आप अपने जीवन में सच्चे ज्ञान का पालन करेंगे, तो कोई भी संकट आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।"


गाँव के कुछ लोग संत की बातों पर विश्वास करते थे, लेकिन कई लोग अब भी संशय में थे। एक दिन, गाँव में एक विद्वान आया। उसने गाँव वालों से कहा, "मैं तुम्हारे संत से ज्यादा विद्वान हूँ। अगर तुम मुझसे ज्ञान प्राप्त करोगे, तो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे।" लोगों ने उस विद्वान की बातों पर यकीन कर लिया और संत की बातों को नजरअंदाज कर दिया।


कुछ दिनों बाद, विद्वान ने गाँव से बहुत सारा धन और कीमती सामान इकट्ठा किया और चुपचाप गाँव छोड़कर चला गया। लोग निराश हो गए और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। वे संत के पास गए और उनसे माफी मांगी। संत ने कहा, "तुमने उस विद्वान के दिखावे पर भरोसा किया, लेकिन असली ज्ञान वह होता है जो तुम्हें हमेशा मार्ग दिखाए, न कि वो जो तुम्हारे लालच को भड़काए।"


संत ने फिर से गाँव में ज्ञान के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों को बताया कि सच्चा ज्ञान कभी धोखा नहीं देता। जिस प्रकार गंगा नदी बिना किसी भेदभाव के सभी को शुद्ध करती है, उसी प्रकार ज्ञान भी सभी के लिए समान होता है। इसे अपनाने वाला व्यक्ति कभी असफल नहीं होता।


धीरे-धीरे गाँव के लोगों ने संत की बातों को समझा और ज्ञान के महत्त्व को अपनाया। वे मेहनत करने लगे और एक दूसरे की मदद से गाँव को फिर से हरा-भरा बना दिया। संत की शिक्षाएं गाँव वालों के जीवन का हिस्सा बन गईं और उनका जीवन पहले से भी ज्यादा समृद्ध हो गया।


संत ने एक बार फिर कहा, "ज्ञान ही गंगा है, इसे जितना बाँटो, उतना ही शुद्ध और निर्मल होता है। यह जीवन की हर समस्या का समाधान है।" गाँव वालों ने संत की बातों को समझा और उसे जीवन का मूल मंत्र बना लिया।


   समाप्त।

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