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14 सित॰ 2024

कहानी: ज्ञान का स्त्रोत

 कहानी: ज्ञान का स्त्रोत


गाँव के एक शांत कोने में, एक साधु बाबा का छोटा सा आश्रम था। साधु बाबा का नाम महादेव था, लेकिन लोग उन्हें आदरपूर्वक "ज्ञान गुरु" के नाम से पुकारते थे। गाँव के लोग उनके पास अपनी समस्याएँ लेकर आते थे और बाबा महादेव हमेशा उन्हें सही रास्ता दिखाते थे। उनकी सादगी और ज्ञान ने सभी को प्रभावित किया था।


एक दिन, एक युवक जिसका नाम अरुण था, बाबा के पास आया। अरुण बहुत परेशान था, उसकी ज़िन्दगी में बहुत सी कठिनाइयाँ थीं, और वह जीवन का असली मतलब जानना चाहता था। वह बाबा महादेव से बोला, "बाबा, मैंने कई किताबें पढ़ी हैं, अनेक गुरुओं से शिक्षा ली है, लेकिन मुझे भगवान का सही ज्ञान और समझ नहीं मिल पाई है। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि भगवान क्या हैं और उनका ज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है?"


बाबा महादेव ने मुस्कराते हुए अरुण को देखा और कहा, "तुम्हें जो ज्ञान चाहिए, वह किताबों या बाहरी शिक्षकों से नहीं मिलेगा। भगवान का असली ज्ञान हर व्यक्ति के भीतर है, लेकिन उसे महसूस करने के लिए तुम्हें अपने मन को शुद्ध और शांत बनाना होगा।"


अरुण थोड़ा असमंजस में था। उसने पूछा, "बाबा, यह कैसे संभव है? यदि भगवान हमारे भीतर हैं, तो फिर क्यों हमें इतनी मुश्किलें होती हैं, और हम क्यों उन्हें महसूस नहीं कर पाते?"


बाबा ने धीरे से समझाया, "भगवान का ज्ञान और उनका अनुभव पाने के लिए, तुम्हें अपने अंदर झाँकना होगा। जैसे एक नदी का पानी तब तक शांत नहीं होता, जब तक उसकी सतह पर लहरें होती हैं। वैसे ही, जब तक तुम्हारे मन में इच्छाओं और चिंताओं की लहरें उठती रहेंगी, तुम भगवान को महसूस नहीं कर पाओगे।"


बाबा ने एक कहानी सुनानी शुरू की, "एक बार एक राजा था, जिसे सबसे बड़ा खजाना चाहिए था। उसने पूरे राज्य में घोषणा की कि जो कोई उसे सबसे बड़ा खजाना देगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा। लोग अपने-अपने खजाने लेकर आए, लेकिन राजा किसी से संतुष्ट नहीं हुआ। तभी एक गरीब ब्राह्मण राजा के पास आया और उसने राजा से कहा, 'राजन, सबसे बड़ा खजाना आपके पास पहले से ही है, पर आप उसे पहचान नहीं रहे।' राजा ने पूछा, 'वह खजाना कहाँ है?' ब्राह्मण ने उत्तर दिया, 'वह आपके हृदय में है। सच्चे ज्ञान का खजाना आपके भीतर है, परंतु आपने बाहरी चीजों में उसे ढूँढने की कोशिश की है।' राजा ने जब ध्यान से इस बात पर विचार किया, तब उसे समझ आया कि जीवन का सबसे बड़ा खजाना हमारे अपने अनुभव और ज्ञान में ही छुपा होता है।"


अरुण को बाबा महादेव की बात समझ में आ गई थी। उसने महसूस किया कि भगवान का असली ज्ञान बाहरी संसार से नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार से प्राप्त होता है। बाबा महादेव ने उसे सिखाया कि जब तक मन में शांति और सरलता नहीं होगी, तब तक ईश्वर के ज्ञान को प्राप्त करना कठिन है।


अरुण ने बाबा से विदा ली और साधना में ध्यान लगाने का संकल्प किया। धीरे-धीरे, उसने अपने मन को शांति में लाना शुरू किया और जीवन के हर पहलू में भगवान की उपस्थिति को महसूस किया।


यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान का असली ज्ञान हमारे भीतर ही है, बस हमें उसे खोजने और समझने की जरूरत है। कठिनाइयाँ और समस्याएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन जब हम अपने मन को शांत और एकाग्र करते हैं, तब हमें भगवान का वास्तविक अनुभव होता है।

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